सोमवार, 20 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






दोहा

राजनीति में आज है, जातीयता     प्रचंड।

कैसे मिटै  समाज में,कौन विधि खंड खंड।।


कवि: अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-12-2021) को चर्चा मंच          "दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे"   (चर्चा अंक-4286)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  2. सामायिक विसंगति पर प्रहार करता सार्थक दोहा।

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विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...