द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
दोहा
राजनीति में आज है, जातीयता प्रचंड।
कैसे मिटै समाज में,कौन विधि खंड खंड।।
कवि: अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख से जब सूना, दर्शन करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-12-2021) को चर्चा मंच "दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे" (चर्चा अंक-4286) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मयंक जी बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंउत्तम आ0
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंसामायिक विसंगति पर प्रहार करता सार्थक दोहा।
जवाब देंहटाएंआभार सहित।
हटाएंसामयिक सृजन...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।
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