गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






चिंता

ज्यादा चिंता जो करै, रक्त चाप बढ़ जाय।

बिनु अग्नी जीवित जलै, जग में होत हसाय।।

भ्राता

बड़ा भ्राता पिता तुल्य,छोटा पूत समान।

भ्राता से न बैर कभी, दौलत ओछी जान।।


©कवि :अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर,कानपुर।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

व्यास पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा)

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© अशर्फी लाल मिश्र  पूर्णिमा तिथि थी अषाढ़ मास की, जब महर्षि व्यास ने  जन्म लिया। प...