© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर
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अशर्फी लाल मिश्र
राणा ने खाई घास की रोटियाँ, शैया जिनकी कंकड़ पर। अरावली की पहाड़ियाँ भी , राणा संग हो गई अमर।।
अकबर सेना बहुतै विशाल , प्रताप सेना पहुँची समर। देखि चेतक चाल जबै, भगदड़ मचगई बीच समर।।
चेतक ने अब पैर रखे , मान सिंह के हाथी पर। भय से हौदा हिल गया , गिरते गिरते भूमि पर।।
भाला देखा राणा का , काँपा मान सिंह थर थर। अब राणा के एक इशारे से, चेतक पहुँचा बीच समर।।
प्रताप का भाला ऐसा चला , चिघ्घाड़े हाथी बीच समर। शोणित धारा ऐसी बही , सैनिक बह रहे बीच समर।।
-- लेखक एवं रचनाकार अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर कानपुर।©
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देश भक्ति से परिपूर्ण कविता
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