गुरुवार, 24 सितंबर 2020

बाल सखा बहुतै मिलिहैं

 © कवि: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर  

अशर्फी लाल मिश्र 
बाल     सखा    बहुतै    मिलिहैं,
पर चन्द  की  समता कोई नहीं।
चन्द    पृथ्वीराज का बाल सखा,
जीवन पर्यन्त  छोड़ा  साथ   नहीं।।

पृथ्वीराज  बंदी था गजनी में ,
साथ    में   चंदबरदाई   भी। 
गजनी में चंद  की एक पहल ,
महाराज  हमारे  तीर कुशल। 

शब्द   पर   उनका  तीर   चले ,
चाहें  सुल्तान  परीक्षा  कर लें। 
पृथ्वीराज ने साधा तीर कमान ,
ऊपर से देख रहा गोरी सुल्तान।। 

तभी चंद ने छंद सुनाया ,
पृथ्वीराज ने तीर चलाया। 
अब  भूमि   पड़ा था गोरी,
धन्य  राज   चंद  की  जोरी।।
=*=

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