शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

घाट घाट का पानी पिया (मुक्तक)

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

अशर्फी लाल मिश्र 
अफ्रीकी  ट्रेन में धक्के खाये ,
फिर भी मोहन निराश नहीं। 
न्याय मंदिर में जज ने कहा,
सिर पर होगी पगड़ी नहीं।।

आंदोलन  "चम्पारण" का ,
या  फिर हो "भारत  छोडो"।
घाट   घाट  का  पानी पिया,
 गांधी का "दांडी मार्च" हुआ।। 

हाथ   में     जिनके    लाठी ,
कमर   में     धोती    आधी। 
 घाट    घाट  का पानी  पिया,
    तब कहलाये गांधी राष्ट्र पिता।।

©अशर्फी लाल मिश्र



 
 














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