गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

नीति के दोहे (मुक्तक)

डिजिटल भारत है आज ,फिर भी धीमा काम।
चाल   वही   है    पुरानी , शासन  हो बदनाम।।


मानवता अब मर चुकी , वोट   बैंक   की    बात।
राष्ट्र   हित  पीछे  हुआ , हो निज हित  की बात।।

© Poet : Asharfi Lal Mishra , Akbarpur, Kanpur .


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नीति के दोहे मुक्तक

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