© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर , कानपुर *
अशर्फी लाल मिश्र |
साधु
आँख देखे सारा जग , खुद नहि देखी जाय।
जो खुद देखे आप को , वही साधु कहलाय।।
खाते खाद्य अखाद्य , करते पापाचार।
त्यागहु ऐसे साधु को , मती करियो सत्कार।।
कपट
सम्मुख हो बोल मीठा , पिछे बिगाड़े काम।
छोड़ो ऐसे मीत को , करो अकेले काम।।
जो खुद देखे आप को , वही साधु कहलाय।।
खाते खाद्य अखाद्य , करते पापाचार।
त्यागहु ऐसे साधु को , मती करियो सत्कार।।
कपट
सम्मुख हो बोल मीठा , पिछे बिगाड़े काम।
छोड़ो ऐसे मीत को , करो अकेले काम।।
लक्ष्य
लक्ष्य सदैव हो ऊँचा , चढ़ जाओ सोपान।
चन्द्रयान दो चढ़ गया , भारत बना महान।।
मित्र
मीत सदैव शुभ चिंतक , विपत न छोड़े साथ।
ऐसे मीत मनाइये , दौड़ो लाओ साथ ।।
लक्ष्य सदैव हो ऊँचा , चढ़ जाओ सोपान।
चन्द्रयान दो चढ़ गया , भारत बना महान।।
मित्र
मीत सदैव शुभ चिंतक , विपत न छोड़े साथ।
ऐसे मीत मनाइये , दौड़ो लाओ साथ ।।
समाज सेवा
समाज सेवा अति दुरूह , सबसे होती नाहि।
समाज सेवा जो करे , जन में आदर पाहि।।
मीडिया
चतुर्थ स्तम्भ जनतंत्र , मीडिया कहलाय।
निष्पक्ष संवाददाता , सबसे आदर पाय।।
समाज सेवा अति दुरूह , सबसे होती नाहि।
समाज सेवा जो करे , जन में आदर पाहि।।
मीडिया
चतुर्थ स्तम्भ जनतंत्र , मीडिया कहलाय।
निष्पक्ष संवाददाता , सबसे आदर पाय।।
व्यवसाय
उत्तम राजनीति कहो , मध्यम उद्योग होय।
निम्न चाकरी जानिये ,अधम किसानी होय।।
भ्रष्टाचार
लोकसेवक -राजनीति , गठबंधन जब होय।
भ्रष्टाचार दिन दूना , यह जानत सब कोय।।
कवि
कवि
कवि की कविता जानिये , कलम बंधी न होय।
निष्पक्ष उसकी लेखनी , राष्ट्र हित में होय।।
रिपोर्टर
रिपोर्टिंग महा दुष्कर , सबके बस की नाहि।
जनहित जिसका लक्ष्य नहि , वह रिपोर्टर नाहि।।
निष्पक्ष उसकी लेखनी , राष्ट्र हित में होय।।
रिपोर्टर
रिपोर्टिंग महा दुष्कर , सबके बस की नाहि।
जनहित जिसका लक्ष्य नहि , वह रिपोर्टर नाहि।।
कर (टैक्स )
भानु भूमि रस लेय जस, तस कर दोहन होय।
जन हित में जब कर लगे , जनता हर्षित होय।।
पीड़ा सौत की
सौतन पीड़ा सौत ही , और न जानै कोय।
या फिर जानै गोपियाँ , अधर बसुरिया होय।।
भानु भूमि रस लेय जस, तस कर दोहन होय।
जन हित में जब कर लगे , जनता हर्षित होय।।
पीड़ा सौत की
सौतन पीड़ा सौत ही , और न जानै कोय।
या फिर जानै गोपियाँ , अधर बसुरिया होय।।
अहंकार
अहंकार के अश्व चढ़ , मत इठलाये कोय।
मानव तन नश्वर होइ , यह जानत सब कोय।।
कपट
सत्य कभी डिगता नहीं , असत्य टिकता नाइ ।
जब कपट सफलता होइ , मानव मदांध होइ ।।
अहंकार के अश्व चढ़ , मत इठलाये कोय।
मानव तन नश्वर होइ , यह जानत सब कोय।।
कपट
सत्य कभी डिगता नहीं , असत्य टिकता नाइ ।
जब कपट सफलता होइ , मानव मदांध होइ ।।
पितृपक्ष
कृष्ण पक्ष आश्विन में , करिये पितर सम्मान।
पितर दें आशीष सबहि , करैं सब का कल्यान।।
पितर तिथि होय जलदान , अती उत्तम सम्मान।
पितर तिथि के इतर करै , पूनौ तिथि जलदान।।
माता का करै श्राद्ध ,जब तिथि नवमी होय।
मनोवांछित फल पावै , घर की उन्नति होय।।
मानवता
धन बल जन बल होइ जब , हर दुर्गुण छिप जाय।
ऐसे बली के सम्मुख, मानवता शरमाय।।
धन
धन की होड़ चहुँ ओर , नीति अनीति न जान।
ऐसे धन संग्रह से , कबहुँ न हो कल्यान।।
व्यापार
लूट मची बाजार में , जो चाहे सो लूट।
घटिया माल बजार में , मिले छूट पर छूट।।
पितर दें आशीष सबहि , करैं सब का कल्यान।।
पितर तिथि होय जलदान , अती उत्तम सम्मान।
पितर तिथि के इतर करै , पूनौ तिथि जलदान।।
माता का करै श्राद्ध ,जब तिथि नवमी होय।
मनोवांछित फल पावै , घर की उन्नति होय।।
मानवता
धन बल जन बल होइ जब , हर दुर्गुण छिप जाय।
ऐसे बली के सम्मुख, मानवता शरमाय।।
धन
धन की होड़ चहुँ ओर , नीति अनीति न जान।
ऐसे धन संग्रह से , कबहुँ न हो कल्यान।।
व्यापार
लूट मची बाजार में , जो चाहे सो लूट।
घटिया माल बजार में , मिले छूट पर छूट।।
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