गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

नीति के दोहे (मुक्तक)

© कवि अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर*
पड़ोस 
पुण्य पीढ़ियों के जान , मिले सुन्दर पड़ोस।
कुछ हानि होय या कष्ट , कर लीजै संतोष।।
रिपु 
रिपु कितना निर्बल होय , पर सदा होशियार। 
अवसर पाय मच्छर भी , करता गहरी मार।।

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नीति के दोहे मुक्तक

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