गुरुवार, 26 सितंबर 2019

अशर्फी लाल के इक्कीस दोहे-1

© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर *
अशर्फी लाल मिश्र 
 राजनीति 
दल बदलू का  दल बदला , पर दिल नहिं बदला जाय।
धरिणी गगन मिलत दिखें , फिर भी क्षितिज कहाय।।
जन  प्रतिनिधि   परहेज  करें , जनता   से   भी   भेंट।
जन   सेवा  से  अधिक   रूचि , भावैं      माला  भेंट।।
कालाधन 
काला   धन   जिन   चाहिए , ढूंढें    सुरक्षित   गेह।
मगर   मुंह   में  पग   पकड़ , गहरे    पानी    खेह।।
संत 
संत धरणि पर पग धरहि , धरणि धन्य हुइ जाय।
संत चलहि नहि धरणि पर , नभ में उड़ उड़ जाय।।
मन-संशय   नाही   दूर , कैसे      संत         कहाय।
काम   राग   छूटे   नहीं , फिर   भी    संत   कहाय।।
शिक्षक 
मुंह   में   पान   मसाला , ऐसे   गुरुवर   आज।
आँखों में  चश्मा  काला , देते   शिक्षा     आज।।
भ्रष्टाचार 
भ्रष्टाचार  रग  रग  में , फैला    चारो   ओर।
कौन विधि से देश बढ़े , बढ़े  कमीशन  खोर।।
प्रतिष्ठा  
काम  हमेशा   कीजिये ,जो   नाक  ऊंची होय।
अपनी भी इज्जत बढ़े , घर  की  इज्जत होय।।
कर्म 
भाग्य    बदले  कर्म   से , कर्म बदलता सोच।
अजगर  सोचे  उदर की , नाहीं   बदले  सोच।।
संकट  
प्रबल प्रवाह दरिया का , ठहरो  करो  विचार।
संकट काम आवै नाव , करती  दरिया   पार।।
प्रेम  
प्रेम   ह्रदय     में   जनमे , ना  चाहे  प्रतिदान।
चाहत यदि प्रतिदान की , उसे  वासना  जान।।
पाती    अब   इतिहास है ,  डिजिट   दर्शन  होय।
अब हिय पीड़ा  अश्रु बन , प्रिय के सम्मुख होय।।
पीड़ा  
जानै  पीड़ा  न   समझे , बनता  हो    अनजान।
मत कहिये पीड़ा ताहि , उसका दिल शमशान ।।
प्रकृति  
धरिणी एक टक देख रही, कब वारिद दिख जाय।
उमड़  घुमड़  वारिद दिखे , धरा  मगन  हुइ जाय।।
दामिनि दमक मेघ कड़क , जल से  धरा नहाय।
पुलकित  हुई  धरणी  अब , मन तृप्त हुइ जाय।।
विचार 
बदला बदला हर कोइ , बदल रही है सोच। 
माता पिता अलग रहें, बेटा   की   है सोच।।
संतान 
संतान की करनी से , कुल  की इज्जत होय।
संतान की करनी से , वंश   कलंकित    होय।।..
विश्वास  
अचानक देय भरोसा , मती करियो विश्वास।
सावधानी तब बरतो , कितना  होइ  हि ख़ास।।
सत्य  
सत्य सब काल में सत्य , सत्य काटा न जाय।
सत्य  कभी  डरता   नहीं, भले काल  आ जाय।।
संपर्क 
दूती      होय     या       पाती , हो  गई   बीती  बात।
डिजिटल युग में अब सुलभ , हिय उमगे तब बात।।
झूला  
सावन  में  झूला  नाहि , न  पैंग   देखी   जाय।
अब गीत बने इतिहास , गीत   न  गाये  जाय।।

-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विप्र सुदामा - 56

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख  से जब  सूना, दर्शन  करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...