© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर *
चहुँ ओर मिलावट हो रही।
अब विष भी मिलता शुद्ध नहीं।।
सोने में मिलावट जग जाहिर है।
कोबरा का विष भी शुद्ध नहीं।।
ज्वेलर्स जनता को लूट रहे।
हाल मार्क अनिवार्य नहीं।।
दूध में मिलावट सब कोई जाने।
अब पानी मिलता शुद्ध नहीं।।
हर कोई बढ़ता रिलेशनशिप को।
शुद्ध रक्त की कोई बात नहीं।।
हर खाद्य पदार्थ मिलावट युक्त।
नित नई बीमारी फ़ैल रही।।
चहुँ ओर मिलावट हो रही।
अब विष भी मिलता शुद्ध नहीं।।
चहुँ ओर मिलावट हो रही।
अब विष भी मिलता शुद्ध नहीं।।
सोने में मिलावट जग जाहिर है।
कोबरा का विष भी शुद्ध नहीं।।
ज्वेलर्स जनता को लूट रहे।
हाल मार्क अनिवार्य नहीं।।
दूध में मिलावट सब कोई जाने।
अब पानी मिलता शुद्ध नहीं।।
हर कोई बढ़ता रिलेशनशिप को।
शुद्ध रक्त की कोई बात नहीं।।
हर खाद्य पदार्थ मिलावट युक्त।
नित नई बीमारी फ़ैल रही।।
चहुँ ओर मिलावट हो रही।
अब विष भी मिलता शुद्ध नहीं।।
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