-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
बढ़ रहा पथिक निर्जन पथ पर,
उसका कोई गंतव्य नहीं ।
उमड़ घुमड़ उठ रहे विचार,
पर उनका कोई अंत नहीं।।
कभी कदम तेजी से बढ़ते,
पर थमने का लेते नाम नहीं।
अब पथ गुजर रहा बीहड़ से,
सिंह हटने का लेता नाम नहीं।।
देखा साहस पथिक का ज्योंही,
हट गया पथ से मनु बनराज नहीं।
बढ़ रहा पथिक निर्जन पथ पर,
उसका कोई गंतव्य नहीं।।
- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर , कानपुर।©
बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंकविता जी ! आप का आभार।
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