गुरुवार, 18 अगस्त 2022

नीति के दोहे मुक्तक

-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 






प्रेम 

प्रेम हिये की अनुभूति, नहि चाहे प्रतिदान।

होय चाह प्रतिदान की, उसे वासना जान ।।1।।

स्नेह

नेह   निकटता   से   बढ़े, दूरी  से  हो   दूर।

पशु पक्षी भी होंय निकट, मिले नेह भरपूर।।2।।


-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

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