-अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
उठो पंख फैलाओ ,
छू लो नभ के तारे।
चमको ऐसे जग में,
बन के चांद सितारे।।
भू पर होये भोजन,
शयन चांद पर होये।
ओज होय मन में,
मुट्ठी में जग होये।।
करिये जग में ऐसा काम,
हो होंठो पर तेरा नाम।
मातृ भूमि का सिर ऊंचा,
करिये जग में ऐसा काम।।
--अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर।
अति उत्तम गुरुवर
जवाब देंहटाएंआभार।
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जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०२ -२०२२ ) को
'कह दो कि इन्द्रियों पर वश नहीं चलता'(चर्चा अंक -४३३१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
अनिता जी आप का हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर आव्हान।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंधन्यवाद।
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