बुधवार, 14 अक्टूबर 2020

नीति के दोहे (मुक्तक)

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर 

अशर्फी लाल मिश्र 












मित्र 
परिछाईं   संकट   काल, धीरज   देता  होय। 

स्वार्थ रहित हो भावना ,मीत जानिये सोय।।

सुख

वशीभूत   न लालच के  ,निन्दा  से हो दूर। 
ताहि जीवन सदा सुखी ,खुशियों से भरपूर।।

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नीति के दोहे मुक्तक

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