रविवार, 11 अक्टूबर 2020

लोकतंत्र बढ़ रहा उधर

 © कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर,कानपुर । 

Asharfi Lal Mishra 

लोकतंत्र   बढ़   रहा  उधर ,
बाहुबली  धनबली जिधर। 
अपराधी गुंडे बढ़ रहे उधर ,
लोकतंत्र का गिरता स्तर।।

जन  प्रतिनिधि पथदर्शक ,
जनता    होती  अनुगामी। 
जैसे   होंगे  जन प्रतिनिधि ,
जनता    होगी   अनुगामी।।

हिमालय हो जाय चूर चूर,
सागर   में   उठें     हिलोरें। 
 अडिग   रहे  यह  लोकतंत्र ,
जनता    हो     अनुगामी।।

लोकतंत्र के दो स्तम्भ सदा  ,
सहमति असहमति साथ रहें।
अचानक    आये  कोई  संकट ,
मतभेद   भुलाकर  साथ  रहें।।
-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
=*= 








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