© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर , कानपूर *
मैं कुहासा,
मेरा शासन।
न चलेगी रेल,
न चलेगा यान।।
काया मेरी प्रचंड,
भयभीत मार्तण्ड।
भयाकुल खगकुल,
छिपा नीड।।
सिंह भी जा छिपे,
अपनी माँद।
नर नारी सभी,
अपने भवन।।
रोड पर कर्फ्यू,
धीमें वाहन।
कुहासा का,
यही फरमान।।
न चले गी रेल,
न चलेगा यान।।
मैं कुहासा,
मेरा शासन।
न चलेगी रेल,
न चलेगा यान।।
काया मेरी प्रचंड,
भयभीत मार्तण्ड।
भयाकुल खगकुल,
छिपा नीड।।
सिंह भी जा छिपे,
अपनी माँद।
नर नारी सभी,
अपने भवन।।
रोड पर कर्फ्यू,
धीमें वाहन।
कुहासा का,
यही फरमान।।
न चले गी रेल,
न चलेगा यान।।
- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर कानपुर।
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