Asharfi Lal Mishra |
राजतिलक हो राम का।
गुरु बशिष्ठ की इच्छा थी,
राजतिलक हो राम का।।
दशरथ की बुद्धि क्षीण हुई ,
कैकेयी के वश में आये थे।
राम को भेजा था दण्डक वन,
मानों महाप्रयाण का आमंत्रण।।
त्रैलोक्य विजेता था रावण,
जब बुद्धि उसकी क्षीण हुई।
सीता का किया था अपहरण,
मानों महाप्रयाण का आमंत्रण।।
महाबली बरदानी बाली,
जब उसकी बुद्धि क्षीण हुई।
अनुज बधु पर पड़ी कुदृष्टि,
मानों महाप्रयाण का आमंत्रण।।
--लेखकएवंरचनाकार:अशर्फीलाल मिश्र,अकबरपुर,कानपुर।©
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