मंगलवार, 28 मई 2024

विप्र सुदामा - 43

 - लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


अशर्फी लाल मिश्र (1943----)







बच्चों  संग  रहो  महल में,

हम बाहर खाट बिछा लेंगे।

बच्चे सदा  भी  पास रहेंगे,

तुमको  हृदय में  बसा लेंगे।।


घर का मालिक घर बाहर,

शयन करे यह मर्यादा नहीं।

सब लोग करेंगे  निंदा मेरी,

घर की बनती  शोभा नहीं।।


प्रिये हमारा हुआ था जन्म,

बड़े हुये  हम छप्पर छानी।

सदा आती  हमें गहरी नींद,

जब सोते हम छप्पर छानी।।


नाथ अविरल मेघ बरसने पर,

छप्पर  टप  टप करता होगा?

गहरी  नींद  का  प्रश्न  ही नहीं,

उठकर  बैठना  पड़ता   होगा?


नाथ  आप  के  महल में,

बना शयन कक्ष आपका। 

चित्र  बना  अलौकिक  है,

मुरली  बजाते  कृष्ण का।।

- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


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