गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

विप्र सुदामा - 34

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


अशर्फी लाल मिश्र (1943----)







सुशीला अब हो गई बेचैन,

बच्चे सरोवर में जल केलि।

कैसे  मनाऊँ   प्रियतम को,

खड़े  बीच  गली  हठ पेलि।।


अब सुशीला दौड़ी उस ओर,

जँह  विप्र खड़े थे बीच गली।

सखियाँ पूँछ रही सुशीला से,

क्यों बच्चे नाहीं  साथ  सखी।।


गर्मी ऋतु के कारण सखी,

जल केलि सरोवर हैं बच्चे।

कुछ काल बाद आ जायेंगे,

सखी विप्र  के  सारे  बच्चे।।


सुदामा  ने देखा सुशीला को,

वापस आ गई बिन बच्चों के।

सुदामा के तेवर अब तीखे थे,

सुशीला नहीं  बिन बच्चों  के।।


विप्र के दोनों पैर पकड़ कर, 

सुशीला  सिर था  चरणों में।

नाथ बच्चे स्नान कर आ रहे,

अब  तो पधारो  निज घर में।।

-- रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

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