बुधवार, 8 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

Asharfi Lal Mishra










विश्व मानवाधिकार दिवस (10  दिसंबर )

अनेकता में एकता, राष्ट्र  की यह पुकार। 
अर्थ होये या समाज, हो उन्नति अधिकार।।

                    समर्थ 

समर्थ सदा उसे कहें,घमण्ड पास न कोय। 
महिला वृद्ध बच्चों की, सुरक्षा करता होय।।


कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 


2 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 56

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख  से जब  सूना, दर्शन  करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...