Asharfi Lal Mishra |
विश्व मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर )
अनेकता में एकता, राष्ट्र की यह पुकार।
अर्थ होये या समाज, हो उन्नति अधिकार।।
समर्थ
समर्थ सदा उसे कहें,घमण्ड पास न कोय।
महिला वृद्ध बच्चों की, सुरक्षा करता होय।।
कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर।
सभी दोहे सटीक नितीपरक सार्थक।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ।
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