मंगलवार, 30 नवंबर 2021

मुस्कान

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

खांड   सीठी ,  चीनी    सीठी, 
जब से देखी मुस्कान मिठाई।
तन  मन  में   वह  रम   गई, 
ऐसी  है वह मुस्कान मिठाई।। 

सोवत  जागत   भूले   नाहीं,
ऐसी मीठी मुस्कान मिठाई। 
ग्राहक भी स्वयं बिका बिका,
ऐसी है वह अमूल्य मिठाई।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर।  

गुरुवार, 18 नवंबर 2021

केश सज्जा

द्वारा : अशर्फी  लाल मिश्र 


बिखरे बाल बरबादी , बंधे बाल खुशाल। 

कटे बाल सम भाव के ,ऐसा केशन हाल।।


कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

विप्र सुदामा - 73

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र ( 1943----) अभी कान्ह चुप चाप पड़े थे, मुख से निकलहि  शब्द नहीँ। भामा के प्रश्नों...