© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर *
बिन बोले ही अँखियाँ बात करेेें।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।।
कितना भी छिपायें दिल का राज।
भौहें बतायें सारा राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
एक चितवन ही बताये सारा राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
मस्तक की भंगिमा कहती राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
कपोल छिपायें न कोई राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं,
अधराधर कहते दिल का राज ।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
दन्त की पंगति खोले राज।।
बिन बोले ही अँखियाँ बात करेेें।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।।
कितना भी छिपायें दिल का राज।
भौहें बतायें सारा राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
एक चितवन ही बताये सारा राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
मस्तक की भंगिमा कहती राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
कपोल छिपायें न कोई राज।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं,
अधराधर कहते दिल का राज ।।
वाणी नहीं कोई बात नहीं।
दन्त की पंगति खोले राज।।
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