मंगलवार, 24 सितंबर 2019

कुछ मोती

© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर*
Asharfi Lal Mishra
                                                                   
(1 )बीज
भूमि   के   गर्भ   में   छिपा   एक   दाना ,
समय पाकर  गर्भ  से  निकला है दाना।
अट्टहास  करता  हुआ  हाथ उठाये दाना,
सिर उठाये खड़ा था भूमि पर वह दाना।।

(2 )
मोती
सीपी   में   बंद  था   मोती   का    दाना,
अवसर  पर  आया  बाहर   वह    दाना।
भाग्य पर इठलाय रहा मोती का दाना,
प्यारी  की  नथ   में  पहुंचा  जब  दाना।

(3 )
हीरा
गहरी    खदान    में    हीरे    का    दाना,
अवसर  पर   आया   ऊपर   वह   दाना।
भाग्य  पर   इठलाय  रहा हीरे का दाना,
माथे की विन्दिया में चमका जब दाना।।
                       =*=

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