© अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर*
(1 )बीज
भूमि के गर्भ में छिपा एक दाना ,
समय पाकर गर्भ से निकला है दाना।
अट्टहास करता हुआ हाथ उठाये दाना,
सिर उठाये खड़ा था भूमि पर वह दाना।।
(2 )
मोती
सीपी में बंद था मोती का दाना,
अवसर पर आया बाहर वह दाना।
भाग्य पर इठलाय रहा मोती का दाना,
प्यारी की नथ में पहुंचा जब दाना।
(3 )
हीरा
गहरी खदान में हीरे का दाना,
अवसर पर आया ऊपर वह दाना।
भाग्य पर इठलाय रहा हीरे का दाना,
माथे की विन्दिया में चमका जब दाना।।
Asharfi Lal Mishra |
(1 )बीज
भूमि के गर्भ में छिपा एक दाना ,
समय पाकर गर्भ से निकला है दाना।
अट्टहास करता हुआ हाथ उठाये दाना,
सिर उठाये खड़ा था भूमि पर वह दाना।।
(2 )
मोती
सीपी में बंद था मोती का दाना,
अवसर पर आया बाहर वह दाना।
भाग्य पर इठलाय रहा मोती का दाना,
प्यारी की नथ में पहुंचा जब दाना।
(3 )
हीरा
गहरी खदान में हीरे का दाना,
अवसर पर आया ऊपर वह दाना।
भाग्य पर इठलाय रहा हीरे का दाना,
माथे की विन्दिया में चमका जब दाना।।
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