© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर *
जब सुना विलाप जटायु ने,
जनक नंदिनी सीता का।
कहाँ पक्षी तुच्छ जटायु ,
कहाँ बलशाली राजा लंका का।।
जब सुना विलाप जटायु ने,
जनक नंदिनी सीता का।
कहाँ पक्षी तुच्छ जटायु ,
कहाँ बलशाली राजा लंका का।।
Asharfi LalMishra |
कहाँ एक अबला नारी,
तू उसकी चोरी करता है।
क्या बलहीन हुआ रावण,
जो राम से डरता है।।
साहस देखो जटायु का,
दसकंधर को धिक्कारा।
त्रैलोक्य विजेता रावण को,
युद्ध निमित्त ललकारा ।।
क्रोध में आया जटायु ,
जब नहीं माना दसकंधर।
अपनी पैनी चोंच चलाई,
रक्त रंजित हुआ दसकंधर ।।
जटायु बलिदान हुआ,
सीता को बचाने में।
शौर्य की गाथा सुनकर,
भर आएंगे आंसू नैनों मे।।
क्या बलहीन हुआ रावण,
जो राम से डरता है।।
साहस देखो जटायु का,
दसकंधर को धिक्कारा।
त्रैलोक्य विजेता रावण को,
युद्ध निमित्त ललकारा ।।
क्रोध में आया जटायु ,
जब नहीं माना दसकंधर।
अपनी पैनी चोंच चलाई,
रक्त रंजित हुआ दसकंधर ।।
जटायु बलिदान हुआ,
सीता को बचाने में।
शौर्य की गाथा सुनकर,
भर आएंगे आंसू नैनों मे।।
-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।
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