© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर *
आ गयो नाग यमुना में।
मचा है शोर गोकुल में।।
कैसे पीहैं गायें जल।
कैसे नहायें ग्वाल बाल।।
भीड़ जुटी थी नंद के द्वारे।
उदास चेहरे भय के मारे।।
गायें बंधी थीं गौशाला में।
नहीं गई थीं जंगल में।।
छायी उदासी चारों ओर।
कान्हा दौड़े यमुना ओर।।
पीछे दौड़ी मातु यशोदा।
पीछे दौड़े सखा वृन्द।।
पीछे पीछे गोकुलवासी।
सबके पीछे बाबा नन्द।।
यमुना तट पर पहुंचे कान्हा।
देखा नाग फन फैलाये।।
कूद पड़े कान्हा यमुना में।
भय से ग्वाला चिल्लाये।।
क्षण भर में कान्हा जल ऊपर।
एक पैर था नाग के फन पर।।
नाग नथा था नाग मरा था।
फिर भी लोगों में भय था।।
कान्हा ने नाग हवा में लहराया।
'लाल' का भय तब दूर हुआ।।
आ गयो नाग यमुना में।
मचा है शोर गोकुल में।।
कैसे पीहैं गायें जल।
कैसे नहायें ग्वाल बाल।।
भीड़ जुटी थी नंद के द्वारे।
उदास चेहरे भय के मारे।।
गायें बंधी थीं गौशाला में।
नहीं गई थीं जंगल में।।
छायी उदासी चारों ओर।
कान्हा दौड़े यमुना ओर।।
पीछे दौड़ी मातु यशोदा।
पीछे दौड़े सखा वृन्द।।
पीछे पीछे गोकुलवासी।
सबके पीछे बाबा नन्द।।
यमुना तट पर पहुंचे कान्हा।
देखा नाग फन फैलाये।।
कूद पड़े कान्हा यमुना में।
भय से ग्वाला चिल्लाये।।
क्षण भर में कान्हा जल ऊपर।
एक पैर था नाग के फन पर।।
नाग नथा था नाग मरा था।
फिर भी लोगों में भय था।।
कान्हा ने नाग हवा में लहराया।
'लाल' का भय तब दूर हुआ।।
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