© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर ।
बरस रहे बदरा बरस रहे बदरा।
बरस रहे बदरा ओ मोरी गुइयाँ।।
उमड़ रहे बदरा घुमड़ रहे बदरा।
बरस रहे बदरा ओ मोरी गुइयाँ।।
गरज रहे बदरा , बरस रहे बदरा।
दमकि रही दामिनि,डरपि रह्यो जियरा।।
नाच रहे केकी , गाय रहे भेकी।
झूम रहे पादप , ओ मोरी गुइयाँ।। बरस रहे --
ताल तलइयान में छायो है यौवन।
इठलाइ रहीं नदियाँ ओ मोरी गुइयाँ।।
`जिन सखियन के घर में हैं साजन।
झूम रही सखियाँ ओ मोरी गुइयाँ।। बरस रहे ---
हमरे साजन विदेसवा में छाये।
सूख रहा तनवा ओ मोरी गुइयाँ।।
बरस रहे बदरा गरज रहे बदरा।
ओ मोरी गुइयाँ---।।
--अशर्फी लाल मिश्र
बरस रहे बदरा बरस रहे बदरा।
बरस रहे बदरा ओ मोरी गुइयाँ।।
उमड़ रहे बदरा घुमड़ रहे बदरा।
बरस रहे बदरा ओ मोरी गुइयाँ।।
गरज रहे बदरा , बरस रहे बदरा।
दमकि रही दामिनि,डरपि रह्यो जियरा।।
नाच रहे केकी , गाय रहे भेकी।
झूम रहे पादप , ओ मोरी गुइयाँ।। बरस रहे --
ताल तलइयान में छायो है यौवन।
इठलाइ रहीं नदियाँ ओ मोरी गुइयाँ।।
`जिन सखियन के घर में हैं साजन।
झूम रही सखियाँ ओ मोरी गुइयाँ।। बरस रहे ---
हमरे साजन विदेसवा में छाये।
सूख रहा तनवा ओ मोरी गुइयाँ।।
बरस रहे बदरा गरज रहे बदरा।
ओ मोरी गुइयाँ---।।
--अशर्फी लाल मिश्र
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