Updated on 06/05/2019
गुरमीत राम रहीम सिंह , आसाराम और रामपाल
आदि काल से ही ज्ञान के क्षेत्र में भारत का विश्व में डंका बजता रहा है। मुनि परशुराम के सदृश आज तक कोई भी धनुर्विद्या में उनकी समता नहीं कर सका। भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य ,कर्ण आदि उनके प्रमुख शिष्य थे। मुनि वशिष्ठ के आश्रम में राम ने अपने सभी भाइयों सहित शिक्षा ग्रहण की। गुरु संदीपन के आश्रम में कृष्ण और सुदामा ने शिक्षा ग्रहण की। हमारा कहने तात्पर्य यह है कि प्राचीन भारतीय संस्कृति से हमें यह दिशा मिलती है कि आश्रम ज्ञान के केंद्र थे जहाँ पर गुरु अपने शिष्य के भविष्य निर्माण का उत्तरदायित्व का निर्वाह करते थे। राजा /अभिभावक अपने बच्चों को योग्यतम गुरु के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते थे।
१५ वीं शताव्दी में सिक्ख गुरुओं ने ज्ञान के पाठ्यक्रम के साथ- साथ देश की रक्षा को भी सम्मिलित कर लिया। पाठ्यक्रम में देश की रक्षा को सम्मिलत करना उस समय की आवश्यकता थी क्योंकि उस समय पंजाब मुस्लिम आतताइयों के आक्रमण से परेशान था। ये आक्रमण पश्चिम दिशा से हो रहे थे। इन गुरुओं के यहाँ भी शिष्य और देश दोनों के हित परिलक्षित होते हैं।
वर्तमान युग में सिक्ख गुरुओं का विश्व में सम्मान देखकर पंजाब/हरियाणा के लोगों में गुरु बनने की ललक जाग उठी। परिणाम स्वरुप पंजाब/हरियाणा में डेरों /आश्रमों की श्रंखला खड़ी हो गई। इन आश्रमों के अनेक उप आश्रम भी बन गए। पंजाब/हरियाणा के निम्न डेरे विशेष उल्लेखनीय हैं ;
वर्तमान के अपयश प्राप्त गुरु
गुरमीत राम रहीम सिंह , आसाराम और रामपाल
आदि काल से ही ज्ञान के क्षेत्र में भारत का विश्व में डंका बजता रहा है। मुनि परशुराम के सदृश आज तक कोई भी धनुर्विद्या में उनकी समता नहीं कर सका। भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य ,कर्ण आदि उनके प्रमुख शिष्य थे। मुनि वशिष्ठ के आश्रम में राम ने अपने सभी भाइयों सहित शिक्षा ग्रहण की। गुरु संदीपन के आश्रम में कृष्ण और सुदामा ने शिक्षा ग्रहण की। हमारा कहने तात्पर्य यह है कि प्राचीन भारतीय संस्कृति से हमें यह दिशा मिलती है कि आश्रम ज्ञान के केंद्र थे जहाँ पर गुरु अपने शिष्य के भविष्य निर्माण का उत्तरदायित्व का निर्वाह करते थे। राजा /अभिभावक अपने बच्चों को योग्यतम गुरु के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते थे।
१५ वीं शताव्दी में सिक्ख गुरुओं ने ज्ञान के पाठ्यक्रम के साथ- साथ देश की रक्षा को भी सम्मिलित कर लिया। पाठ्यक्रम में देश की रक्षा को सम्मिलत करना उस समय की आवश्यकता थी क्योंकि उस समय पंजाब मुस्लिम आतताइयों के आक्रमण से परेशान था। ये आक्रमण पश्चिम दिशा से हो रहे थे। इन गुरुओं के यहाँ भी शिष्य और देश दोनों के हित परिलक्षित होते हैं।
वर्तमान युग में सिक्ख गुरुओं का विश्व में सम्मान देखकर पंजाब/हरियाणा के लोगों में गुरु बनने की ललक जाग उठी। परिणाम स्वरुप पंजाब/हरियाणा में डेरों /आश्रमों की श्रंखला खड़ी हो गई। इन आश्रमों के अनेक उप आश्रम भी बन गए। पंजाब/हरियाणा के निम्न डेरे विशेष उल्लेखनीय हैं ;
- सतलोक आश्रम ;वरवाला ,हिसार , हरियाणा -- (आश्रम प्रमुख - रामपाल )
- डेरा सच्चा सौदा :पंचकूला ,हरियाणा --(डेरा प्रमुख -गुरुमीत राम रहीम सिंह )
- राधास्वामी सत्संग व्यास , व्यास नदी ,पंजाब --( आश्रम प्रमुख -गुरिन्दर सिंह )
- राधा स्वामी सत्संग -दिनोद , भिवानी ,हरियाणा --( प्रमुख-कँवर साहेब )
- आदि आदि डेरे /आश्रम
वर्तमान के अपयश प्राप्त गुरु
- आसाराम : (जन्म १७ अप्रैल १९४१--- )मूल रूप से सिंध पाकिस्तान निवासी आसाराम का वास्तविक नाम आसुमल थाउमल हरपलानी है। वृन्दावन स्थित लीलाशाह ने इनका नाम आसाराम रख दिया और सनातन धर्म का प्रचार करने की सलाह दी। कक्षा तीन तक विद्यालयी शिक्षा पाने के बावजूद आसाराम ने अद्वैत वेदांत पर प्रवचन कर अपने को स्वयं भू भगवान घोषित कर अरबों की संपत्ति और लाखों की संख्या में अपने अंध भक्त शिष्य बनाने में सफल रहे। दिनांक २५ अप्रैल २०१८ को आसाराम को यौन दुष्कर्म के अपराध में जोधपुर की एक अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई [a] , साथ उनके पुत्र नारायण साईं भी यौन दुष्कर्म के अपराध में जेल में निरुद्ध हैं।[1]
- रामपाल : का जन्म पंजाब राज्य (वर्तमान में हरियाणा ) के सोनीपत जिले के धनाना गाँव में ८ सितम्बर १९५१ को हुआ था। सतलोक आश्रम के संस्थापक रामपाल कबीर पंथ के पोषक अनुयायी थे। सनातन धर्म(मूर्ति पूजा ,वेद आदि ) को असत्य घोषित कर रामपाल ने स्वयं को भगवान घोषित कर दिया था। रामपाल १९ नवम्बर २०१४ से हत्या के जुर्म जेल में बंद हैं। [2] दिनांक १६ नवम्बर २०१८ को रामपाल को दो मर्डर केसों में आजीवन कारावास की सजा हुई। 2(a) दिनांक १७ नवम्बर २०१८ को एक मर्डर केस में मरते दम तक उम्र कैद की सजा और एक लाख रुपये अर्थ दंड की सजा हुई। 2(b)
- गुरमीत राम रहीम सिंह : (जन्म १५ अगस्त १९६७--) भारतीय गुरु , संगीत लेखक ,गायक,अभिनेता एवं फिल्म निर्माता एवं डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख हैं। अरबों रुपयों /संपत्ति के स्वामी राम रहीम को दो साध्वियों से यौन दुष्कर्म के अपराध में २८ अगस्त २०१७ को २० वर्ष का कारावास और ३० लाख रुपये का अर्थ दंड दिया गया। [3][4] पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या के मामले में गुरमीत राम रहीम को उम्र कैद [4a]
- नारायण साईं : आसाराम के बेटे नारायण साईं को बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा और एक लाख जुर्माना। 4(b)
- अखाडा परिषद् द्वारा जारी फर्जी बाबाओं की सूची :
- आसाराम बापू उर्फ़ आसुमल सिरमलानी
- नारायण साई
- इच्छाधारी भीमानंद उर्फ़ शिवमूर्ति द्विवेदी
- राधे माँ उर्फ़ सुखविन्दर कौर
- बाबा ओमानंद
- निर्मल बाबा उर्फ़ निर्मलजीत सिंह
- रामपाल
- गुरमीत राम रहीम
- बाबा ओम \नमः शिवाय
- स्वामी अच्युतानंद तीर्थ
- योगी सत्यम [5]
दिनांक १०/०९/२०१७ को अखाडा परिषद् ने फर्जी बाबाओं ली सूची जारी की
- आसाराम बापू उर्फ़ आसुमल सिरमलानी
- सुखविन्दर कौर उर्फ़ राधे मां
- सच्चिदानन्द गिरि उर्फ़ सचिन दत्ता
- गुरमीत सिंह सच्चा डेरा सिरसा
- ओमबाबा उर्फ़ विवेकानन्द झा
- निर्मल बाबा उर्फ़ निर्मलजीत सिंह
- इच्छाधारी भीमानन्द उर्फ़ शिवमूर्ति द्विवेदी
- स्वामी असीमानन्द
- ॐ नमः शिवाय बाबा
- नारायण साईं
- रामपाल
- आचार्य कुशमुनि
- बृहस्पतिगिरि
- मलखान सिंह [6] [7]
- वीरेंद्र दीक्षित [a]
- सच्चिदानंद सरस्वती [b]
- त्रिकाल भवंत [c]
बाबा /मुनि जिन पर दुष्कर्म के आरोप लगे
गुरुओं का समाज पर प्रभाव : जिन गुरुओं से समाज में उम्मीद की जाती है कि वे अपने प्रवचन ,क्रिया कलाप, रहन सहन आचार -व्यव्हार द्वारा समाज का मार्ग दर्शन करेंगे और सामाजिक बुराइयों से लोगों को बचने की शिक्षा देंगे। इसके विपरीत ये गुरु अपने को स्वयं भू भगवान् घोषित कर अपने अदूरदर्शी शिष्यों को उनके तन मन और धन को अपने चरणों में समर्पित करने की प्रेरणा देते हैं। ये गुरु अपनी पूर्ण कृपा देने के लिए शिष्यों को परिवार सहित अपने आश्रम में योग प्रशिक्षण / साप्ताहिक ज्ञान सप्ताह का भी आयोजन करते हैं। ये गुरु शिष्यों में अपने प्रभाव प्रदर्शन के लिए राजनेताओं के साथ ली गयी फोटो का अपने आश्रम की पत्रिका में स्थान देते हैं।
ऊपर कुछ ही तथा कथित स्वयं भू भगवानों का उल्लेख किया गया है जिनके कारण सम्पूर्ण साधु समाज, आश्रमों एवं भारतीय संस्कृति की छवि धूमिल हुई है। अतः ठीक ही कहा गया है कि --
गुरु कीजै जान के ,पानी पीजे छान के
गुरु कीजै जान के ,पानी पीजे छान के
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