लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943----) |
भामा रही बात विदाई की,
ऐसी विदाई कभी देखी नहीं।
विदाई की खबर ज्योंही फैली,
सिसक पड़ी थी सिगरी नगरी।।
हर कोई अँखियन नीर भरे,
दौड़ रहा घर मीत की ओर।
मत जाओ मत जाओ कान्ह,
कह उमड़ पड़ी सिगरी नगरी।।
बहुविधि समझाया उनको मैंने,
कहा दूत द्वारिका से है आया।
जब मांगी विदा हाथ जोड़कर,
दहाड़ मार रोई सिगरी नगरी।।
हर कोई बचन था माँग रहा,
कान्ह कब ऐहौ मेरी नगरी।
कोई पथ भूमि लेट कह रहा,
कान्ह कब ऐहौ मेरी नगरी।।
अब हम चल पड़े धीरे धीरे,
आ पहुँचे थे सीमा नगरी।
साथ देवि सुशीला अरु मीत,
अरु पीछे पीछे सिगरी नगरी।।
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंभावविभोर कर देनेवाला शब्द चित्रण
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